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मीणा समाज के बारे में कुछ तथ्य

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 राजस्थान राज्य में सभी मीणा हिन्दू अनुसूचित जनजाति हैं,[2] मीणा मध्यप्रदेश मेंं अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आते हैं। [3] [4]

पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ला तृतीया को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को मीणा समाज में जहाँ एक ओर मत्स्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर इसी दिन सम्पूर्ण राजस्थान में गणगौर का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।[5]

कृतमाला नदी

श्रीमत्स्य अवतार:- अवतरण तिथि चैत्र शुक्ल तृतीया, समय मध्‍याह्नोत्तर, स्थान कृतमाला तट। मलय पर्वत से निकली कृतमाला नदी दक्षिण भारत में बहती है। इस नदी के तट पर तपस्यारत राजा सत्यव्रत को प्रसन्न करने के लिए भगवान मत्स्य प्रथम बार इसी नदी से प्रकट हुए थे। दक्षिण भारत का पावन नगर मदुरई इसी के तट पर बसा है जो दक्षिण भारत का मथुरा कहा जाता है। इस नदी को कुछ विद्वान 'वेगा' या 'वेगवती' कहते हैं।

वर्ग

मीणा जाति प्रमुख रूप से निम्न वर्गों में बंटी हुई है जमींदार या पुरानावासी मीणा : जमींदार या पुरानावासी मीणा वे हैं जो प्रायः खेती एवं पशुपालन का कार्य बर्षों से करते आ रहे हैं। ये लोग राजस्थान के सवाईमाधोपुर,करौली,दौसा व जयपुर जिले में सर्वाधिक हैं| चौकीदार या नयाबासी मीणा : चौकीदार या नयाबासी मीणा वे मीणा हैं जो अपनी स्वछंद प्रकृति के कारण चौकीदारी का कार्य करते थे। इनके पास जमींने नहीं थीं, इस कारण जहां इच्छा हुई वहीं बस गए। उक्त कारणों से इन्हें नयाबासी भी कहा जाता है। ये लोग सीकर, झुंझुनू, एवं जयपुर जिले में सर्वाधिक संख्या में हैं। प्रतिहार या पडिहार मीणा : इस वर्ग के मीणा टोंक, भीलवाड़ा, तथा बूंदी जिले में बहुतायत में पाये जाते हैं। प्रतिहार का शाब्दिक अर्थ उलट का प्रहार करना होता है। ये लोग छापामार युद्ध कौशल में चतुर थे इसलिये प्रतिहार कहलाये। रावत मीणा : रावत मीणा अजमेर, मारवाड़ में निवास करते हैं। भील मीणा : ये लोग सिरोही, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं चित्तोड़गढ़ जिले में प्रमुख रूप से निवास करते हैं।

मीणा जनजाति, राजस्थान

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